गढ़वा: पीएम श्री विद्यालयों में ग्रीन स्कूल योजना के नाम पर 15 लाख की सरकारी राशि का गबन, जांच में बड़ा खुलासा

गढ़वा: पीएम श्री विद्यालयों में ग्रीन स्कूल योजना के नाम पर 15 लाख की सरकारी राशि का गबन, जांच में बड़ा खुलासा

गढ़वा: ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरणीय असंतुलन के इस दौर में जहां बच्चों को विद्यालय स्तर से ही पर्यावरण संरक्षण की शिक्षा दी जानी थी, वहीं गढ़वा जिले में इस नेक पहल को भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया गया है।

जिले के सभी 26 पीएम श्री विद्यालयों को ग्रीन स्कूल और हर्बल/मेडिकल गार्डन योजना के तहत कुल 15 लाख रुपये से अधिक की सरकारी राशि उपलब्ध कराई गई थी।

लेकिन जांच में सामने आया कि अधिकांश विद्यालयों में न तो औषधीय पौधे लगाए गए और न ही स्कूलों का वातावरण इको-फ्रेंडली बनाया गया — उल्टा इस पूरी राशि का गबन कर लिया गया।

जांच समिति ने किया बड़ा खुलासा

यह खुलासा अपर समाहर्ता (गढ़वा) के नेतृत्व में गठित तीन सदस्यीय जांच टीम ने किया।
इस टीम में जिला शिक्षा अधीक्षक और कोषागार पदाधिकारी (ट्रेजरी ऑफिसर) शामिल थे।
तीनों पदाधिकारियों ने 8 सितंबर 2025 को पत्रांक 969 के माध्यम से अपनी विस्तृत जांच रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंपी।

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रिपोर्ट में साफ कहा गया है —

“विद्यालयों में पौधारोपण के नाम पर मात्र औपचारिकता निभाई गई है। किसी भी विद्यालय में 60 हजार रुपये की राशि के अनुपात में कार्य नहीं हुआ। योजना का उद्देश्य विफल रहा और सरकारी राशि का दुरुपयोग किया गया है।”

कैसे हुई राशि की निकासी और खर्च का खेल

ग्रीन स्कूल योजना के तहत प्रत्येक विद्यालय को 60-60 हजार रुपये की राशि दी गई थी —
जिसमें से 10 हजार रुपये हर्बल गार्डेन और 50 हजार रुपये एक्टिविटी प्रमोटिंग ग्रीन स्कूल योजना के तहत खर्च करने थे।

लेकिन जांच में पाया गया कि अधिकांश विद्यालयों ने यह राशि वित्तीय वर्ष समाप्त होने से सिर्फ चार दिन पहले (25 से 30 मार्च 2025 के बीच) ही निकाल ली।
न तो पौधों की सही खरीद का रिकॉर्ड मिला, न ही बागवानी की कोई फोटो या प्रमाण उपलब्ध कराए गए।

कहीं एक भी पौधा नहीं, कहीं मात्र औपचारिक पौधारोपण

जांच रिपोर्ट के अनुसार –

शालिग्राम मध्य विद्यालय, सोनपुरवा और यू.पी.जी. रोहनियाटांड़, भंडरिया में एक भी पौधा नहीं लगाया गया।

यू.पी.जी. उवि डोल, चिनिया में केवल चार आंवला के पौधे लगाए गए।

यू.पी.जी. सोनेहारा, डंडई में तुलसी, नींबू और पपीते के 15 पौधे ही मिले।

मध्य विद्यालय, संग्रहे (गढ़वा) में 170 पौधे लगाए गए थे, लेकिन सभी सूख गए।

आरके उवि चितविश्राम, नगरउंटारी में 150 पौधे लगे, परंतु रखरखाव का कोई इंतज़ाम नहीं था।

ऐसा लगभग सभी विद्यालयों में पाया गया कि न पौधों की घेराबंदी की गई और न ही नियमित सिंचाई की व्यवस्था रही।

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दो एजेंसियों को दिया गया था पौधों की आपूर्ति का जिम्मा

पौधों की आपूर्ति की पूरी जिम्मेदारी केवल दो एजेंसियों –
युवा सदन आरोग्य (रांची) और गुप्ता ट्रेडर्स (भवनाथपुर, गढ़वा) – को दी गई थी।

जांच में यह भी पाया गया कि कई विद्यालयों में इन एजेंसियों द्वारा कोई आपूर्ति नहीं की गई, फिर भी विद्यालयों ने भुगतान का दावा कर दिया।
रिपोर्ट के मुताबिक, यह पूरा मामला कागजी पौधारोपण और फर्जी बिलों के जरिए सरकारी राशि हड़पने का प्रतीत होता है।

योजना का असली उद्देश्य हुआ ध्वस्त

ग्रीन स्कूल योजना और हर्बल गार्डेन योजना का मकसद था –

बच्चों में पर्यावरण जागरूकता बढ़ाना,

विद्यालय परिसरों को ग्रीन और सस्टेनेबल बनाना,

तथा छात्रों को औषधीय पौधों और जड़ी-बूटियों के महत्व से परिचित कराना।

लेकिन जांच से पता चला कि न तो कोई जागरूकता अभियान चला और न ही बच्चों को पर्यावरण शिक्षा के तहत कोई गतिविधि कराई गई।
योजना की भावना पूरी तरह से भ्रष्टाचार और लापरवाही की भेंट चढ़ गई।

कार्रवाई की संभावना

जिला प्रशासन को सौंपी गई जांच रिपोर्ट के आधार पर अब संबंधित विद्यालय प्रधानाध्यापकों, प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारियों, और पौध आपूर्ति एजेंसियों के खिलाफ
वसूली, निलंबन और विभागीय कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।

जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय ने इस रिपोर्ट को गंभीर मानते हुए
अगली कार्रवाई के लिए उपायुक्त कार्यालय को भेज दिया है।

Mukesh Tiwari
Author: Mukesh Tiwari

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