चांद-सूरज के बाद अब सुलझेगी अंतरिक्ष की गुत्थी! ISRO 1 जनवरी को करने वाला है बड़ा कमाल

नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) चांद -सूरज की गुत्थियां सुलझाने के बाद अपने नए मिशन पर लग गया है. दरअसल ISRO की नए साल 2024 में बड़ा धमाका करने की प्लानिंग है. ISRO चांद और सूरज के बाद अंतरितक्ष की गुत्थियां सुलझाने की तैयारी कर रहा है. ISRO अंतरिक्ष में एक्स-रे स्रोतों के तीव्र ध्रुवीकरण की जांच करने के लिए अपने पहले एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट (XPoSat) के लॉन्च के साथ नए साल की शुरुआत करने के लिए पूरी तरह तैयार है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार XPoSat 1 जनवरी 2014 को लॉन्च होगा. यह भारत का पहला मर्पित पोलारिमेट्री मिशन है. ISRO ने घोषणा की है कि XPoSat मिशन पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) का उपयोग करके सुबह 9:10 बजे लॉन्च होगा. यह भारत की अंतरिक्ष की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होने वाला है.

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खगोलीय स्रोतों द्वारा एक्स-रे के पोलारिमेट्री ने खगोलविदों के बीच विशेष रूप से नासा के पोलारिमेट्री मिशन – IXPE द्वारा किए गए हालिया खुलासे के मद्देनजर बहुत रुचि पैदा की है. सबसे बड़ी बात यह है कि यह मिशन न केवल भारत का पहला समर्पित पोलारिमेट्री मिशन है, बल्कि 2021 में लॉन्च किए गए नासा के इमेजिंग एक्स-रे पोलारिमेट्री एक्सप्लोरर (IXPE) के बाद दुनिया का दूसरा मिशन भी है.

एक बार लगभग 650 किलोमीटर की निचली पृथ्वी कक्षा (LEO) में स्थापित होने के बाद, यह अगले पांच सालों के लिए डेटा प्रदान करेगा. सैटेलाइट में दो मुख्य पेलोड होंगे जो बेंगलुरु स्थित रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (RRI) द्वारा विकसित किए गए हैं और दूसरा इसरो के यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (URSC), इसरो द्वारा विकसित किया गया है.

क्यों है यह खास?
ऐसे मिशन ब्रह्मांड की सबसे दिलचस्प घटनाओं जैसे सुपरनोवा विस्फोटों के आसपास के रहस्यों को उजागर करने में भी सहायक होते हैं. वे खगोलविदों के लिए महत्वपूर्ण हैं जो इनमें से कुछ खगोलीय प्रक्रियाओं और उनके द्वारा उत्सर्जित एक्स-रे की जांच कर रहे हैं. पोलारिमेट्री मूलतः प्रकाश का गुण है. अंतरिक्ष में एक्स-रे पोलारिमेट्री कैसे काम करता है इसका अध्ययन करके, खगोलविद नए रहस्य को सुलझा सकते हैं कि प्रकाश कहां से आ रहा है और वह ऊर्जा स्रोत क्या है.

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बता दें कि नासा ने हाल ही में दिसंबर 2021 में अंतरिक्ष में एक्स-रे पोलारिमीटर का अध्ययन करने के लिए एक मिशन भी लॉन्च किया था. IPEX (इमेजिंग एक्स-रे पोलारिमेट्री एक्सप्लोरर) नामक मिशन ने पहले ही दो साल का अपना मिशन जीवन पूरा कर लिया है और इसे 2025 तक बढ़ा दिया गया था.

Tags: ISRO, ISRO satellite launch, Science news

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Garhwa Dayri
Author: Garhwa Dayri

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