धरती आबा अभियान को लेकर भाजपा ने साधा निशाना, कहा – सिर्फ खानापूर्ति कर रही है सरकार
गढ़वा, 16 जून 2025:
रमकंडा प्रखंड के चेटे पंचायत में शुरू हुए धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान पर भाजपा ने सवाल उठाए हैं। पार्टी के रमकंडा विधायक प्रतिनिधि ज्ञानरंजन पाण्डेय ने इसे सिर्फ खानापूर्ति करार देते हुए प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि “कार्यक्रम की जमीनी हकीकत कुछ और ही देखने को मिली।”
उन्होंने बताया कि कार्यक्रम की शुरुआत तो भव्य स्वागत और अधिकारियों के भाषण से हुई, लेकिन आदिवासी हितों की बातें केवल मंच तक सीमित रह गईं। उपायुक्त श्री दिनेश कुमार यादव ने जनसंवाद के नाम पर सिर्फ चार लोगों से बात की।जनसंवाद के दौरान ग्राम सूली के सीताराम परहिया ने बताया कि उनके टोले गोरेयकरम में आज भी लोग गड्ढा खोदकर पानी पीने को मजबूर हैं। लेकिन इन चिंताजनक समस्याओं पर किसी भी स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई या निर्देश नहीं दिए गए।
अधिकारियों की बेरुख़ी से आदिवासी समुदाय में नाराज़गी
विधायक प्रतिनिधि के अनुसार, जैसे ही उपायुक्त कार्यक्रम से रवाना हुए, सभी विभागीय कर्मी भी अपने-अपने स्टॉल छोड़कर चले गए। दूर-दराज से आए आदिम जनजातीय लोग अपनी समस्याओं के साथ भटकते रहे, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं था।
आवास योजना से भी वंचित हैं आदिवासी
राजदेव कोरवा, पिता ललहकू कोरवा ने बताया कि उन्हें आज तक प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला। जब वह प्रखंड के आवास समन्वयक राहुल कुमार से आवेदन लेकर मिलने पहुंचे, तो जवाब मिला कि “पोर्टल बंद है, अब आवास नहीं मिलेगा।”
“खस्सी-भात” में उलझ गया कार्यक्रम – भाजपा का आरोप
भाजपा प्रतिनिधि का आरोप है कि इस आयोजन को सिर्फ शोपीस बना दिया गया। बड़े टेंट, पंडाल और खस्सी-भात की व्यवस्था तो रही, लेकिन आदिवासी हितों के वास्तविक मुद्दे दरकिनार कर दिए गए। इससे समुदाय में गहरी निराशा और नाराज़गी फैल गई।
“प्रधानमंत्री की मंशा के साथ खिलवाड़” – भाजपा
भाजपा ने इस आयोजन की घोर निंदा करते हुए कहा कि धरातल पर कुछ नहीं हो रहा है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “जनजातीय सशक्तिकरण” की सोच के साथ सीधा खिलवाड़ है। पार्टी ने आश्वस्त किया है कि वह आदिवासी व आदिम जनजातीय समुदाय के साथ हर परिस्थिति में खड़ी है और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए लगातार संघर्ष करती रहेगी।
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