मंडल डैम डूब क्षेत्र के 780 परिवारों के पुनर्वास पर संकट, ग्रामीणों ने डीएफओ, रेंजर समेत सात वनकर्मियों को बनाया बंधक

मंडल डैम डूब क्षेत्र के 780 परिवारों के पुनर्वास पर संकट, ग्रामीणों ने डीएफओ, रेंजर समेत सात वनकर्मियों को बनाया बंधक

गढ़वा-पलामू की बहुचर्चित मंडल डैम परियोजना एक बार फिर विवादों में आ गई है। डूब क्षेत्र के 780 परिवारों के पुनर्वास को लेकर अब विरोध की लहर शुरू हो गई है। पुनर्वास स्थल के रूप में प्रस्तावित रमकंडा प्रखंड के बलिगढ़ और रंका के बिश्रामपुर क्षेत्र के ग्रामीणों ने इस योजना का विरोध करते हुए सोमवार को बड़ा बवाल खड़ा कर दिया।

वन विभाग की टीम जब बलिगढ़ वन क्षेत्र में सर्वेक्षण करने पहुंची, तो सैकड़ों ग्रामीणों ने गढ़वा दक्षिणी वन प्रमंडल पदाधिकारी (डीएफओ) इबिन बेनी अब्राहम, रेंजर रामरतन पांडेय समेत सात वनकर्मियों को जंगल में बंधक बना लिया। बंधक बनाए गए कर्मियों में प्रभारी वनपाल ललन कुमार, वनरक्षी धीरेन्द्र चौबे, विनसेंट लकड़ा, शशिकांत कुमार, रंजित सिंह, विजय सिंह और आनंद कुमार शामिल हैं।

ग्रामीणों ने डीएफओ समेत सभी अधिकारियों को करीब दो किलोमीटर पैदल जंगल से बाहर लाकर बलिगढ़ के खेल मैदान में रोके रखा। इस दौरान ग्रामीणों ने डीएफओ पर हमले की कोशिश और उनके वाहन को क्षतिग्रस्त करने का प्रयास किया।
सूत्रों के मुताबिक, वनकर्मी सर्वेक्षण की वीडियो रिकॉर्डिंग कर रहे थे, तभी ग्रामीणों ने उनका मोबाइल छीनने की कोशिश की। मौके पर माहौल तनावपूर्ण हो गया।

घटना की सूचना मिलते ही रंका इंस्पेक्टर अभिजीत गौतम मिश्रा, रंका थाना प्रभारी चेतन कुमार सिंह, भंडरिया थाना प्रभारी सुभाष कुमार और रमकंडा थाना प्रभारी सुरेंद्र सिंह कुंटिया पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे।
पुलिस की उपस्थिति में ग्रामीणों और अधिकारियों के बीच कई घंटे तक बैठक चली। अंततः प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद अधिकारी सुरक्षित लौट पाए।

क्या है मामला

दरअसल, मंडल डैम परियोजना के तहत डूब क्षेत्र के सात गांवों के 780 परिवारों का पुनर्वास किया जाना है। इसके लिए सरकार ने रंका के बिश्रामपुर और रमकंडा के बलिगढ़ वन क्षेत्र की कुल 1378 एकड़ भूमि को पुनर्वास स्थल के रूप में प्रस्तावित किया है।
इसमें बिश्रामपुर के 700 एकड़ और बलिगढ़ के 600 एकड़ क्षेत्र को चिन्हित किया गया है।

बीते दो दिन पहले वन विभाग की ओर से बिश्रामपुर में ग्रामीणों के साथ एक बैठक की गई थी, जिसमें ग्रामीणों ने ग्रामसभा की सहमति के बिना कोई भी कार्य नहीं करने की चेतावनी दी थी। इसके बावजूद सोमवार को सर्वेक्षण शुरू होने पर लोगों का गुस्सा भड़क गया।

ग्रामीणों का कहना है कि पुनर्वास के नाम पर वन क्षेत्र में बाहरी परिवारों को बसाने से उनके जीवन, संसाधन और आजीविका पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। उनका कहना है कि अगर विस्थापितों को बसाना ही है तो विभाग भंडरिया या बड़गड़ प्रखंड के वन क्षेत्र में पुनर्वास की योजना बनाए।

डीएफओ इबिन बेनी अब्राहम ने ग्रामीणों को समझाने की कोशिश की कि यह कार्य सिर्फ वन्य जीव व वन संपदा के सर्वेक्षण से संबंधित है, न कि विस्थापितों के बसाने से। परंतु ग्रामीणों ने किसी भी तरह का काम होने से साफ इंकार कर दिया और पुनर्वास नीति का विरोध पत्र अधिकारियों को सौंपा।

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बैठक में मुखिया बिनोद प्रसाद, प्रमुख पति नंदलाल राम, पूर्व विधायक प्रतिनिधि फिरोज अंसारी, ग्रामीण सीताराम भुइयां, करमदयाल सिंह, सरयू सिंह, रोशन कुजूर, विनय यादव, सुकन भुइयां, बिमल सिंह, जगमोहन लोहरा सहित सैकड़ों ग्रामीण मौजूद रहे।

रंका अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी रोहित रंजन सिंह ने कहा कि विस्थापन के मामलों को लेकर ग्रामीण डीएफओ और वनकर्मियों के समक्ष प्रदर्शन कर रहे थे. इसकी सूचना पर पुलिस गयी थी. मामले में हस्तक्षेप के बाद माहौल शांत कराया गया.

डीएफओ इबिन बेनी अब्राहम ने कहा कि ग्रामीण आक्रोशित थे. उनके रास्ते को रोक रखा. लेकिन उनके ऊपर कोई जानलेवा हमला नही किया गया. कोई वायलेंस नही हुआ है.

Mukesh Tiwari
Author: Mukesh Tiwari

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