धर्मक्षेत्र: हाथी पर सवार होकर आ रही हैं मां दुर्गा, मनुष्य के कंधे पर करेंगी प्रस्थान, जानिए इस शुभ संयोग के संकेत
गढ़वा: इस बार शारदीय नवरात्र का आगमन और प्रस्थान, दोनों ही अत्यंत शुभ संयोग लेकर आ रहे हैं। मां दुर्गा 22 सितंबर को हाथी पर सवार होकर आ रही हैं और दशमी के दिन मनुष्य के कंधे पर सवार होकर प्रस्थान करेंगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह संयोग सुख-समृद्धि, शांति और उन्नति का प्रतीक माना गया है।

हिंदू शास्त्रों में वर्णित है कि देवी दुर्गा हर वर्ष अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर पृथ्वी पर आती हैं। वाहन का चयन ही आने वाले समय का संकेत होता है। इस बार मां का हाथी पर आगमन वर्षा, अच्छी फसल, धन-धान्य और समृद्धि का द्योतक है। यह संयोग व्यापार में वृद्धि और पड़ोसी देशों के साथ बेहतर संबंधों का भी प्रतीक है।

देवी भागवत महापुराण के श्लोक के अनुसार—
“गजे च जलदा देवी, छत्रभंग तुरंगमे।
नौकायां सर्वसिद्धिस्याद्, दोलायां मरणं ध्रुवम्।।’’

अर्थात् देवी यदि हाथी पर सवार होकर आती हैं तो सुख-शांति और वर्षा की प्रचुरता होती है। घोड़े पर आगमन सत्ता परिवर्तन या अशांति का सूचक माना जाता है। पालकी पर आगमन महामारी और आपदा का प्रतीक होता है। नाव पर सवारी हर प्रकार से शुभ फलदायक मानी जाती है।

इसी प्रकार विदाई के समय भी मां की सवारी का विशेष महत्व होता है। इस बार दशमी गुरुवार को पड़ रही है। मान्यता है कि यदि देवी दुर्गा मनुष्य के कंधे पर सवार होकर विदाई लें, तो यह देश और समाज के लिए अत्यंत मंगलकारी होता है। यह स्थिति चारों ओर सुख-शांति, समृद्धि और उन्नति का संदेश देती है।

शारदीय नवरात्र इस बार दस दिनों के होंगे, यानी एक नवरात्र अधिक रहेगा। धर्मशास्त्रों में कहा गया है—
“नवरात्र बढ़ते अच्छे, श्राद्ध घटते अच्छे।’’
इस दृष्टि से भी यह समय बेहद शुभ और फलदायी माना जा रहा है।

इस प्रकार नवरात्र 2025 न केवल आस्था का पर्व होगा, बल्कि आने वाले समय में सुख-शांति और समृद्धि का संकेत भी लेकर आ रहा है।

मां दुर्गा की सवारी और उसका महत्व
नवरात्र पर्व केवल आस्था और श्रद्धा का ही नहीं, बल्कि देवी दुर्गा के आगमन और प्रस्थान से जुड़ी दिव्य मान्यताओं का भी प्रतीक है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार हर वर्ष नवरात्र की शुरुआत और दशमी के दिन मां दुर्गा अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आती और जाती हैं। इन वाहनों के आधार पर आने वाले समय के शुभ-अशुभ संकेत माने जाते हैं।


🚩 नवरात्र आगमन के संकेत

रविवार या सोमवार को स्थापना → हाथी पर आगमन। यह सुख-शांति, बारिश, धन-धान्य और खुशहाली का प्रतीक है।

शनिवार या मंगलवार को स्थापना → घोड़े पर आगमन। यह सत्ता परिवर्तन या युद्ध का संकेत देता है। विपक्ष के लिए शुभ, लेकिन सत्ता पक्ष के लिए चुनौतीपूर्ण।


गुरुवार या शुक्रवार को स्थापना → पालकी पर आगमन। इसे अशुभ माना गया है। इससे महामारी, प्राकृतिक आपदा और जनहानि जैसी आशंकाएं बढ़ती हैं।
बुधवार को स्थापना → नाव पर आगमन। यह हर प्रकार से शुभ है। अच्छी फसल, प्रचुर वर्षा और मनोकामना पूर्ति का द्योतक।
🚩 नवरात्र विदाई के संकेत
रविवार या सोमवार को दशमी → भैंसे पर विदाई। इसे राष्ट्र के लिए अशुभ माना गया है। रोग और शोक की आशंका रहती है।
शनिवार या मंगलवार को दशमी → मुर्गे पर विदाई। इसका फल भी अशुभ है, जिससे दुख और कष्टों में वृद्धि होती है।
बुधवार या शुक्रवार को दशमी → हाथी पर विदाई। यह शुभ है और अच्छे कार्यों का फल मिलने का प्रतीक है।
गुरुवार को दशमी → मनुष्य के कंधे पर विदाई। यह अत्यंत मंगलकारी है। समाज और राष्ट्र में सुख-शांति और समृद्धि का वातावरण बनता है।
