रवि शंकर पाण्डेय के यात्रा वृत्तांत ‘बढ़ते कदम रेंगती बातें’ का भव्य लोकार्पण
गढ़वा: डाल्टनगंज के होटल चंद्रा रेजीडेंसी में रविवार को एक भव्य साहित्यिक समारोह के बीच लेखक रवि शंकर पाण्डेय की नवीनतम कृति ‘बढ़ते कदम रेंगती बातें’ का लोकार्पण हुआ। यह यात्रा वृत्तांत पाठकों को न केवल एक यात्रा पर ले जाता है, बल्कि भावनाओं की गहराई में भी उतरने का अवसर देता है।
अध्यक्षता और संचालन में रहा साहित्यिक गरिमा का संगम
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि श्रीधर द्विवेदी ने की, जबकि संचालन कवयित्री श्रीमती रीना प्रेम दूबे ने भावपूर्ण अंदाज में किया। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन लेखक के भ्राता एवं अंचलाधिकारी श्री शिवशंकर पाण्डेय ने प्रस्तुत किया।
साहित्य जगत की हस्तियों ने की उपस्थिति
इस गरिमामयी समारोह में अनेक साहित्यप्रेमियों एवं क्षेत्रीय रचनाकारों ने शिरकत की। मंच पर उपस्थित प्रमुख साहित्यकारों में हरिवंश प्रभात, डॉ विजय प्रसाद शुक्ल, विजय प्रसाद राजन (डिहरी), पंकज श्रीवास्तव, उमेश कुमार पाठक ‘रेणु’, रमेश सिंह, अनुज कुमार पाठक, श्याम किशोर पाठक, डॉ रामप्रवेश पंडित, ज्ञान रंजन पाण्डेय, संजय कुमार दूबे, सत्य प्रकाश पाण्डेय, पूजा पाण्डेय, शीला श्रीवास्तव, अंजनी कुमार दूबे, वंदना श्रीवास्तव, सत्यनारायण पाण्डेय एवं प्रेम प्रकाश पाण्डेय जैसे नाम शामिल रहे, जिनके कर कमलों से पुस्तक का लोकार्पण संपन्न हुआ।
वक्ताओं ने रखी पुस्तक की विशेषताओं पर अपनी बात
अध्यक्षीय वक्तव्य में श्रीधर द्विवेदी ने कहा कि “यह पुस्तक पढ़ते हुए अनेक बार वाह-वाह कहना पड़ा। इसमें बिंबों और प्रतीकों का प्रयोग अत्यंत सुंदरता से किया गया है।”
वहीं लेखक और समीक्षक विजय प्रसाद ‘राजन’ ने कहा कि “लेखक तर्क-वितर्क से परे अपनी शैली से सिद्ध करते हैं कि वे आंचलिक साहित्य के बेजोड़ शिल्पकार हैं।”
कवि हरिवंश प्रभात ने लेखक की गद्य और पद्य दोनों में दक्षता को सराहा, जबकि लोकतंत्र सेनानी रविशंकर पाण्डेय ने कहा कि “यह सुखद संयोग है कि लेखक मेरे हमनाम और हममुकाम भी हैं। उनका लेखन गहराई में उतरता है।”
डॉ विजय प्रसाद शुक्ल ने भाषा, संस्कृति और शैली की सराहना की, वहीं पंकज श्रीवास्तव ने लेखन में ईमानदारी और गहराई को रेखांकित किया।
पीढ़ियों की संवेदना का अद्भुत समावेश
लोकार्पण के पश्चात शिक्षक परशुराम तिवारी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि इस यात्रा वृत्तांत में किशोरावस्था और वृद्धावस्था की मानसिकता, प्रवृत्तियां और लक्ष्यों का सुंदर समावेश देखने को मिलता है — नाना और नाती के माध्यम से जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों का रोचक वर्णन हुआ है।
लेखक ने जताया आभार
समारोह के अंत में रवि शंकर पाण्डेय ने सभी आगंतुकों एवं शुभचिंतकों का आभार व्यक्त करते हुए अपने पूर्व काव्य संग्रह ‘परिणाह’ और ‘फुही’ का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि पाठकों के प्रेम और सहयोग ने उन्हें यह यात्रा वृत्तांत लिखने के लिए प्रेरित किया।
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