Good Friday: गुड फ्राइडे ईसा मसीह की मृत्यु का दिन
हर धर्म और संस्कृति में कुछ दिन ऐसे होते हैं जो सिर्फ एक ऐतिहासिक घटना को याद नहीं करते, बल्कि एक पूरी विचारधारा, एक मूलभूत जीवन-दृष्टिकोण और मानवीय चेतना के विकास को रेखांकित करते हैं। ईसाई समुदाय के लिए गुड फ्राइडे ऐसा ही एक दिन है। यह दिन केवल शोक और मौन का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह आत्मचिंतन, बलिदान और प्रेम की उस पराकाष्ठा का स्मरण है जो मानवता के लिए प्रेरणा बन चुकी है।
गुड फ्राइडे ईसा मसीह की मृत्यु का दिन है। ईसाई मान्यता के अनुसार, प्रभु यीशु (Jesus Christ) को यहूदी नेताओं और तत्कालीन रोमन शासन ने ईश्वर का पुत्र होने के “अपराध” में सूली पर चढ़ा दिया। यह एक त्रासदी थी, लेकिन साथ ही यह एक ऐसी घटना थी जिसने इतिहास की दिशा को मोड़ दिया। उन्होंने मानवता के पापों का भार स्वयं उठाया और बिना प्रतिरोध के मृत्यु को स्वीकार कर लिया।
ईसा मसीह ने कभी नफरत, हिंसा या बदले की बात नहीं की। उन्होंने प्रेम, क्षमा, दया और करूणा को अपना हथियार बनाया। उनके शब्द थे:
“हे पिता, इन्हें क्षमा कर क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं।”
सूली पर चढ़ते हुए भी यह वाक्य हमें उनके चरित्र की महानता और संदेश की गहराई का अनुभव कराता है।
गुड फ्राइडे का अर्थ – “अच्छा शुक्रवार”?
यह सवाल अक्सर लोगों के मन में आता है कि जब यह दिन मृत्यु, पीड़ा और शोक का प्रतीक है, तो इसे “गुड फ्राइडे” यानी “अच्छा शुक्रवार” क्यों कहा जाता है? इसका उत्तर ईसाई धर्म की उस मूल भावना में छिपा है, जिसके अनुसार ईसा मसीह की मृत्यु कोई अंत नहीं थी, बल्कि यह एक नए जीवन, नई आशा और उद्धार की शुरुआत थी।
ईसा का बलिदान मानवता के पापों के लिए था। उन्होंने पीड़ा को स्वीकार किया ताकि मनुष्य पापों से मुक्त हो सके। इसलिए यह “अच्छा” है — क्योंकि यह दिन उस महान प्रेम का प्रतीक है, जिसने समस्त संसार को आलोकित किया।
आज के संदर्भ में गुड फ्राइडे की प्रासंगिकता
गुड फ्राइडे केवल इतिहास का स्मरण नहीं है। यह आज के समाज के लिए भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना दो हजार वर्ष पूर्व था। हम आज ऐसे समय में हैं जब दुनिया युद्ध, घृणा, धार्मिक कट्टरता, और सामाजिक असमानता की पीड़ा से जूझ रही है। ऐसे में ईसा मसीह का जीवन और उनका बलिदान हमें यह सिखाता है कि प्रेम और क्षमा में वह शक्ति है जो दुनिया को बदल सकती है।
हम अक्सर अपने मतभेदों को युद्ध और हिंसा के जरिए हल करना चाहते हैं। लेकिन गुड फ्राइडे हमें याद दिलाता है कि परिवर्तन भीतर से आता है — आत्मबलिदान से, क्षमा से, और सत्य के मार्ग पर चलने से। ईसा मसीह की तरह साहसपूर्वक अन्याय का विरोध करना और फिर भी प्रेम के मार्ग पर अडिग रहना, यही असली संघर्ष है।
उपवास, मौन और आत्मनिरीक्षण का दिन
गुड फ्राइडे के दिन ईसाई अनुयायी उपवास रखते हैं, चर्चों में विशेष प्रार्थनाएं होती हैं और ‘क्रूस यात्रा’ (Way of the Cross) के माध्यम से ईसा मसीह के अंतिम क्षणों को स्मरण किया जाता है। यह दिन शोर और उत्सव का नहीं, बल्कि मौन और आत्मनिरीक्षण का है।
आज के व्यस्त और भागदौड़ भरे जीवन में, ऐसे दिन बहुत आवश्यक हो गए हैं जो हमें रुककर सोचने का अवसर दें। गुड फ्राइडे हमें याद दिलाता है कि केवल भौतिक सफलता ही जीवन का मापदंड नहीं है, बल्कि सच्चाई, करूणा और सेवा की भावना ही मानव जीवन को पूर्ण बनाती है।
युवाओं के लिए संदेश
वर्तमान पीढ़ी जो सोशल मीडिया, त्वरित प्रतिक्रिया और ‘मैं पहले’ की संस्कृति में पली-बढ़ी है, उसके लिए गुड फ्राइडे एक नया दृष्टिकोण दे सकता है। यह दिन हमें सिखाता है कि शक्ति का सबसे बड़ा रूप हिंसा नहीं, बल्कि आत्मबलिदान होता है। किसी को क्षमा करना कमजोरी नहीं, बल्कि चरित्र की सबसे ऊंची परिभाषा है।
गुड फ्राइडे ईसा मसीह के साहस, धैर्य और आस्था की कहानी है — एक ऐसी कहानी, जिसे अगर युवा अपने जीवन में आत्मसात करें, तो वे न केवल अच्छे नागरिक बन सकते हैं, बल्कि समाज के परिवर्तनकर्ता भी बन सकते हैं।
गुड फ्राइडे – अंधकार में आशा की किरण
गुड फ्राइडे हमें अंधकार में आशा की एक झलक देता है। यह दिन हमें सिखाता है कि चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन हो, सत्य और प्रेम कभी पराजित नहीं होते। ईसा मसीह की मृत्यु उनके पुनरुत्थान (Easter Sunday) का मार्ग बनी, और यही संदेश हमें अपने जीवन में भी अपनाना है — कि हर दुख, हर संघर्ष, हर बलिदान के बाद एक नई शुरुआत संभव है।
आज जब हम गुड फ्राइडे मना रहे हैं, तो यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान न होकर एक नैतिक संकल्प भी होना चाहिए — कि हम ईसा मसीह के दिखाए गए प्रेम, क्षमा और सेवा के मार्ग पर चलने का प्रयास करेंगे।लेखक: मुकेश तिवारी,संपादकीय विशेष: दिनांक: 18 अप्रैल 2025
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