गढ़वा में मसीहियों ने श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया ईस्टर संडे, कब्रगाहों पर जलाई गई मोमबत्तियां

गढ़वा में मसीहियों ने श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया ईस्टर संडे, कब्रगाहों पर जलाई गई मोमबत्तियां

गढ़वा: रविवार को मसीही समुदाय ने प्रभु यीशु मसीह के पुनरुत्थान का पर्व ईस्टर संडे पूरी श्रद्धा, भक्ति और उल्लास के साथ मनाया। जिलेभर के चर्चों में विशेष प्रार्थना सभाओं का आयोजन हुआ। हजारों की संख्या में श्रद्धालु चर्चों में उपस्थित हुए और ईस्टर की बधाइयों के साथ प्रभु के पुनरुत्थान का उत्सव मनाया।

सुबह की पहली प्रार्थना के साथ ही चर्चों में घंटियों की आवाज गूंज उठी। आदिवासी बहुल भंडरिया के GEL चर्च, रोमन कैथोलिक, बेतेल चर्च सहित कई चर्चों को फूलों, मोमबत्तियों और रोशनी से सजाया गया था। पादरियों ने अपने उपदेशों में यीशु मसीह के जीवन, उनके बलिदान और पुनरुत्थान के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि यह पर्व अंधकार पर प्रकाश, मृत्यु पर जीवन और पाप पर क्षमा की विजय का प्रतीक है।

कब्रगाहों पर मोमबत्तियां जलाकर दी श्रद्धांजलि

ईस्टर के दिन मसीही परिवारों ने रविवार की अहले सुबह अपने दिवंगत परिजनों को याद करते हुए कब्रगाहों पर जाकर मोमबत्तियां जलाईं और फूल अर्पित किए। यह दृश्य जिले के भंडरिया, बड़गड़, रंका, चिनिया के कब्रगाहों में देखने को मिला। लोगों ने शांति और पुनरुत्थान की कामना के साथ मौन प्रार्थना की। यह परंपरा मसीही विश्वास के उस पहलू को उजागर करती है, जिसमें जीवन का अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत मानी जाती है। पारंपरिक वेशभूषा में ग्रामीणों ने समूहों में गीत गाए और प्रभु की स्तुति की।

पुरोहित ने दिया ईस्टर का संदेश: प्रेम, क्षमा और आशा

ईस्टर के अवसर पर भंडरिया के पादरी अलेक्सियस गुड़िया ने समाज में प्रेम, एकता और क्षमा का संदेश फैलाने का आह्वान किया। कहा, “ईस्टर केवल एक पर्व नहीं, यह एक संदेश है — कि अंधकार चाहे जितना भी गहरा हो, अंत में प्रकाश की ही जीत होती है।”

Mukesh Tiwari
Author: Mukesh Tiwari

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