गढ़वा में 21 साल पुराने बैंक लूटकांड के आरोपी RJD प्रत्याशी सत्येंद्र साह को जेल , नामांकन के बाद बिहार की सियासत में भूचाल
गढ़वा डायरी डेस्क: गढ़वा पुलिस ने 21 साल पुराने बैंक कैश लूटकांड के एक मुख्य आरोपी और बिहार विधानसभा चुनाव में राजद (RJD) प्रत्याशी सत्येंद्र साह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
सत्येंद्र साह को सोमवार को सासाराम विधानसभा क्षेत्र से नामांकन करने के कुछ ही देर बाद बिहार के रोहतास जिले के करहगर थाना पुलिस ने गिरफ्तार किया। इसके बाद उन्हें भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच गढ़वा लाया गया।

गढ़वा व्यवहार न्यायालय ने उनके खिलाफ वर्ष 2018 में स्थायी वारंट जारी किया था।
करीब दो दशक बाद, अब जाकर गढ़वा पुलिस ने इस पुराने लेकिन चर्चित मामले में बड़ी कार्रवाई की है।

2004 का चर्चित बैंक लूटकांड — जब गोलीबारी के बीच उड़ाए गए थे 10 लाख रुपये

6 दिसंबर 2004 की शाम करीब 2:45 बजे गढ़वा-श्रीबंशीधर नगर मुख्य मार्ग पर चिरौंजिया मोड़ के पास यह लूटकांड हुआ था।
एसबीआई भवनाथपुर शाखा के कैश वैन से छह अपराधियों ने करीब 10 लाख रुपये लूट लिए थे।
इस दौरान अपराधियों ने फायरिंग की, जिससे बैंक गार्ड घायल हो गया था।
लूट के बाद अपराधियों ने बैंक के वाहन को अपने कब्जे में लेकर कुछ दूरी तक भगाया और कैश लेकर फरार हो गए।

अगले दिन बैंक के कैशियर प्रेम कुमार चौधरी के बयान पर गढ़वा थाना कांड संख्या 320/2004 दर्ज की गई, जिसमें आईपीसी की धारा 395, 397 और 120 बी के तहत मामला दर्ज हुआ।
अनुसंधान के दौरान पुलिस ने करहगर (रोहतास) निवासी सत्येंद्र साह को इस गिरोह का हिस्सा बताया।

वारंट, कुर्की, जमानत और राजनीति — 21 साल का लंबा सफर

इस केस में सत्येंद्र साह लगातार फरार रहे।
उनकी गिरफ्तारी के प्रयास कई बार हुए, लेकिन सफलता नहीं मिली।
2006 में उनके खिलाफ कुर्की-जब्ती (CrPC 82) की कार्रवाई शुरू की गई,
फिर 2018 में स्थायी वारंट जारी हुआ।

सत्येंद्र साह ने 2023 में anticipatory bail (पूर्व जमानत) के लिए गढ़वा सत्र न्यायालय में अर्जी दी,
लेकिन कोर्ट ने उनकी अर्जी खारिज कर दी थी।


इसी बीच उन्होंने राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई —
पहले खुद चुनाव लड़ा और फिर अपनी पत्नी को सासाराम नगर निगम चुनाव में उम्मीदवार बनाया।
अब वे राजद के टिकट पर विधानसभा चुनाव के लिए मैदान में थे।
लेकिन गढ़वा पुलिस के वारंट ने उनकी राह रोक दी।

गढ़वा पुलिस की प्लानिंग — रोहतास पुलिस से गुप्त समन्वय

गढ़वा एसडीपीओ नीरज कुमार के अनुसार- यह कार्रवाई लंबे समय से योजना में थी। सत्येंद्र साह के राजनीतिक सक्रियता के कारण हमें उनके मूवमेंट की सूचना मिली थी।
गढ़वा थाना पुलिस ने रोहतास जिले के करहगर थाना से लगातार संपर्क रखा,
और जैसे ही वे नामांकन के लिए पहुंचे — उनकी गिरफ्तारी कर ली गई।”


गिरफ्तारी के बाद उन्हें सासाराम से गढ़वा लाया गया और देर शाम न्यायालय में पेश किया गया,
जहां से उन्हें गढ़वा मंडल कारा भेज दिया गया।
उमेश पासवान गैंग से जुड़ाव — अपराध से राजनीति तक का सफर
सत्येंद्र साह का नाम 1990 के दशक में कुख्यात अपराधी उमेश पासवान गिरोह से जुड़ा था।
यह गिरोह बिहार और झारखंड में बैंक डकैती और कैश लूट की घटनाओं के लिए कुख्यात था।
उमेश पासवान की हत्या के बाद सत्येंद्र साह ने गिरोह की कमान संभाल ली थी।
गढ़वा और पलामू के कई स्थानीय अपराधियों से संपर्क कर उन्होंने यहां भी कई वारदातों को अंजाम दिया।
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, सत्येंद्र साह पर गढ़वा, रोहतास और औरंगाबाद जिलों में दर्जनों केस दर्ज हैं।
राजनीतिक गलियारों में गर्मी — लूटकांड से लेकर प्रत्याशी तक
सत्येंद्र साह की गिरफ्तारी के बाद गढ़वा और सासाराम के राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है।
स्थानीय राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं — यह गिरफ्तारी चुनावी समीकरणों को बदल सकती है।
मतदाताओं के बीच राजद की छवि पर असर पड़ सकता है,
और विरोधी दल इसे बड़ा मुद्दा बना सकते हैं। वहीं कुछ लोग इसे गढ़वा पुलिस की सख्त कार्यशैली का उदाहरण बता रहे हैं।
गढ़वा कनेक्शन — पुलिस की सतर्कता से पकड़ में आया फरार आरोपी
गढ़वा में यह मामला पुलिस के लिए एक चुनौती बन गया था।
लगातार अफसरों के बदलने और पुराने केस फाइलों के कमजोर ट्रैकिंग के कारण आरोपी लंबे समय तक बचता रहा।
लेकिन इस बार गढ़वा पुलिस ने पुराने केसों की मॉनिटरिंग सेल बनाई है,
जिसके तहत यह पहला बड़ा वारंट एक्शन बताया जा रहा है।
गढ़वा पुलिस सूत्रों के मुताबिक,अब इसी तरह के अन्य पुराने मामलों की फाइलें भी खंगाली जा रही हैं।
गढ़वा एसडीपीओ नीरज कुमार बोले: सत्येंद्र साह के खिलाफ 2004 में दर्ज लूटकांड में स्थायी वारंट जारी था।
लंबे समय से वे फरार थे।
अब गिरफ्तारी के बाद आगे की कानूनी प्रक्रिया पूरी की जा रही है।
जरूरत पड़ी तो अन्य मामलों में भी पूछताछ की जाएगी।
